करोगे श्रम मनुज जितना
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1222 1222 ,1222 1222
करोगे श्रम मनुज जितना, बदन पाशान होता है ।
मिलेगी मुश्किलें जितनी,मगज में जान होता है।
उन्हीं को मंजिलें मिलती,रगों में जो जुनूँ रखता,
बना फौलाद-सी बाँहें,जिगर बलवान होता है ।
अगन में स्वर्ण जब जलता,बना कुंदन निखर कर वो।
सदा खुद को तराशा जो,उसी का मान होता है।
सजग होकर रहो मानव, सुरक्षित है तभी जीवन,
नयन जो बंद रखता है, उसे नुकसान होता है।
भरा हो ज्ञान का सागर,रखो हर भावना निर्मल,
चुनौती पूर्ण ये जीवन,तभीआसान होता है।
अमीरी हो गरीबी हो, समस्या कम नहीं होती,
रहे हर हाल में खुश जो, वही धनवान होता है।
पराया-सा समझ कर जो,करे व्यवहार मत जाना,
वहाँ जाना मनुज तेरा,जहाँ सम्मान होता है ।
मुरादें माँग लेने से, कभी पूरी नहीं होती,
जहाँ विस्वास हो कायम, वहाँ भगवान होता है।
कसम खा कर जरूरी तो,नहीं सच ही बतायेगा,
बिका जो चंद पैसों में,कहाँ ईमान होता है।
सियासी दाव जो खेले,मजहबों नाम पर लड़ता
सताये बेगुनाहों को,महज शैतान होता है ।
खुला बाजार ये कैसा,जहाँ ईमान बिकता है,
रहे इंसानियत जिंदा,तभी इंसान होता है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली