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6 Oct 2016 · 1 min read

करे समर्थन वो गद्दार….

आरक्षण संहारक नारे…

विघटनकारी घातक वार, राजनीति का यह हथियार..
करे देश को जो कमजोर. आरक्षण वह जनरल खोर..
सच्चे-भले हुए बेकार. छल-प्रपंच यदि बेड़ा पार..
लुटे सवर्णों का संसार. दे अयोग्य को ही उपहार..
चतुराई से खेले खेल. सह-अनुभूति न करिए मेल.
न हो जातिगत मेरे यार. न ही आर्थिक हो आधार..
बाँट रहा जहरीला, त्याज्य. नहीं चलेगा ऐसा राज्य..
तड़पे जनरल भूखा भाई. आरक्षित को मिले मलाई..
आरक्षित ही होते मान्य. कुंठित इससे जनसामान्य..
है अन्याय असह्य अतिरेक. फाँसी झूले युवा अनेक..
डरे स्वार्थी औ कमजोर. नहीं चलेगा उनका जोर..
नहीं देश से जिसको प्यार. करे समर्थन वो गद्दार..
नक़ल मारती क्योंकर डंक. मिलें योग्यता को ही अंक..
गुणवत्ता का हो फरमान. सबकी शिक्षा एक समान..
निर्धन पाये सुविधा बीस. मुफ्त हास्टल, कोचिंग. फीस..
बेनकाब अब है बेदर्द. नहीं गरीबों का हमदर्द..
उन्मादित आरक्षित आज. ख़त्म करें आरक्षण राज..
रद्द करो अब इसका केस. तभी बराबर की हो रेस,.
करे हमेशा प्रतिभा भक्षण. ख़त्म करें ऐसा आरक्षण..
नहीं न्याय के यह अनुकूल. इसको कर दो नष्ट समूल..
रहे न आरक्षण का नाम. कर दो इसका काम तमाम..

–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

Language: Hindi
2 Comments · 395 Views
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