करे क्यों कोठी चोरी
आरक्षण ग़र पाप है, बढ़ा रहे क्यूँ आप।
एक दहाई दे दिए, रहा न कोई माप।।
रहा न कोई माप,बँधी ना कोई डोरी।
छप्पर का अधिकार, करे क्यों कोठी चोरी।
रोते हो दिन-रात,”जटा”को समझ न आए।
आरक्षण है कोढ़, तो काहे तू अपनाए।।
✍️जटाशंकर”जटा”
आरक्षण ग़र पाप है, बढ़ा रहे क्यूँ आप।
एक दहाई दे दिए, रहा न कोई माप।।
रहा न कोई माप,बँधी ना कोई डोरी।
छप्पर का अधिकार, करे क्यों कोठी चोरी।
रोते हो दिन-रात,”जटा”को समझ न आए।
आरक्षण है कोढ़, तो काहे तू अपनाए।।
✍️जटाशंकर”जटा”