करूपता के प्रति मापदंड
चेहरे की कुरुपता से नही लगा सकते
हम किसी का मापदंड
उपरी कुरुपता से कैसे पहचान सकते
हम किसी का भीतरी हृदय – अंग ?
चेहरे के विपरीत होता है
अधिकांश लोगों का हृदय
मेरे मन में ये बात
हमेशा से होती आयी है उदय ,
आखिर क्यों ये संसार सदियों से
दौड़ता आया पीछे रूप के
क्या किसी को नही पता
विष का प्याला
छिपा है अंदर रूप के ,
प्रातः क्यों नही चाहते
करूपता का दर्शन सब
चाहते हैं देखना क्यों
रूपसी को ही सब ?
आखिर इस कु – विचार का
मिलना चाहिए सबको क्या दंड ?
बस निरंतर प्रयास करना है
बदलना है कुरूपता के प्रति
सबका मापदंड ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा 12/02/83 )