करूणा…🖋️
करूणा है मानवता का गहना,
जिसको धारण करते रहना।
न रखना तामस का गहना,
जीवन में ममता रस भरना।
करूण भाव का उदय हुआ है कब से,
जब से मां का हृदय हुआ है तबसे।
प्रेमी का प्रियतम से विछोह हुआ है तब से,
मां से बेटा बेटी का, विछोह हुआ है तब से।
मां के आंचल में छुप छुप कर सो जाना,
करूण भाव का अमृत रस पी जाना।
दुनिया में सब चीज, तुम्हें मिल जायेगी,
मां की ममता करूणा की छांव, नहीं मिल पायेगी