करूं क्या काम ऐसा
करूं क्या काम ऐसा उसकी हां हो जाए
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करूं क्या काम मैं ऐसा उसकी हां हो जाए,
कहीं जीवन बिना उसके यूंं तबाह हो जाए|
कोई करिश्मा कोई करामात कुदरत की,
वो हो सदा मेरी ये उसकी सलाह हो जाए|
खाकर ठोकरें सारी हुआ दर-बदर ठिकाना,
उसी का दर हमारे लिए ही पनाह हो जाए|
छाया फितूर आशिकी का सिर चढ़ बोले,
चाहत का भूत कहीं कोई गुनाह हो जाए|
भटकाता राह में बनकर यूं मनसीरत राही,
शजर की डाली का पत्ता गवाह हो जाए|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)