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6 Jul 2019 · 1 min read

करुण क्रंदन

करुण क्रंदन
~~~~~~~~~~~~~~
(1)
माता पिता गरीबी जीवन जिये,
करुण क्रंदन घुट घुट के पिये।
पहनने के लिए नहीं वस्त्र दिए,
गरीबी की जीवन ऐसे जीये ।
(2)
शासन से मुक्त पुस्तक मिले,
लिखने के लिए कापी नहीं दिए।
अधूरे मेरे सपने रह गए ,
गरीबी की जीवन ऐसे जीये।
(3)
कठिन परिश्रम काम किए,
परिश्रम का अच्छा दाम न मिले।
जीवन से थक हार चुके,
गरीबी की जीवन ऐसे जीये।
(4)
करुण क्रंदन से दिल घबराए,
मां की प्रेरणा मन में आए।
जीवन में कुछ कर दिखाए,
सफलता से खुशी भर आए।
~~~~~~~~~~~~~~~~
कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
मो. ‌8120587822

Language: Hindi
1 Like · 406 Views
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