करुणा शील
सुविधा से वंचित न रहे, मिले सबको समान,
जो है सार्वजनिक, मिले सबको सह सम्मान.
मिले सबको सह सम्मान, न कोई भूखा सोये
मिले सबको सहयोग,क्यों व्यर्थ कोई रोनारोये.
कह महेन्द्र कविराय, करुणा शील से जो सींचे
कौन शक्स या जग में,रहे जिसके खाली खींचे
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस