करीं हम छठ के बरतिया
करी हम छठि के बरतिया, माई करीं सुइकार।
छठि माई होईं ना सहइया, सुखी रहें परिवार।। —+-++——
महिमा अपार जाने सकल जहानवा।
देली माई गोदिया में सुनरऽ ललनवा।
कर धनी छठि के बरतिया, माई करिहें सुइकार।
छठि माई होइहें, सहइया, रही सुखी परिवार।।————-
मांगी हम अन धन सोनवा, भरल रहे भंडार।
आदित नाथ होई न सहइया , अरघ करीं सुइकार।—-
आदितमलऽ करेले तिमिर के नाशवा।
सुखी संसार लाईं देले आदित धनवा।
दीहे आदित अन धन सोनवा,भरल रही भंडार।
पानी बीचे खाड़ होखऽ धनिया, अरघ होई सुइकार।——
जाईं नरकटिया बजरिया, लाईं फुलवा के हार।
लाईं साठी धनवा के चउरा, तापर फल दुई चार।
नारियल सुथनी आ लाईं रउरा केरवा।
सूप माटी बरतन दउरा आ दियवा ।
जात बानी धनी हम बजरिया, लाइब फल फूल हार।
करऽ धनी करऽ तू बररतिया, करऽ बाकी बेवहार।——-
लिखलें शुकुल सचिन माई के भजनवा,
अरब सी सत्यम गावे धइके धयनवाँ।
सुनऽ धनी माई के भजनियांँ, उनकर महिमा अपार।
करऽ छठि माई के बरतिया पूरन आसरा तोहार।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’