करवा चौथ
कुण्डलिया छंद
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छाई धवला चाँदनी, जगमग है चहुँओर ।
छटा गगन की देखकर, हर्षित चतुर चकोर।।
हर्षित चतुर चकोर, मगन हो नाचे – गाये ।
चौथ कलानिधि आज, नवल निज रूप दिखाये।।
लेकर गड़ुवा हाथ, रूपसी सज-धज आई ।
मानो दामिनि छोड़ गगन धरणी पर छाई ।।
✍️- नवीन जोशी ‘नवल’
(स्वरचित, मौलिक)