………………… करवट!!
करवट,
ऐसा कौन है जो करवट नहीं बदलता,
बदलना पड़ता है,
जब एक ही स्थिति में,
रहते हुए थक जाते हैं,
तो मजबूरन करवट बदल जाते हैं।
जीवन में ना जाने,
मैंने कितनी बार करवट बदल डाले,
पर कभी, इस बारे में सोचा तक नहीं,
करवट बदलना क्यों है इतना जरुरी,
आज एक समाचार में,सुनने को मिल गया,
राजस्थान में राजनीति का ऊंट करवट बदल रहा,
और तब मुझे अहसास हुआ,
इंसान ही नहीं,पशु भी करवट बदलता है,
लेकिन यहां तो राजनीति का ऊंट,
लोगों को करवट बदलता दिख रहा।
करवट बदलना हर किसी की फितरत है,
क्यों कि एक ही स्थिति में बने रहना,
आसान नहीं, बहुत कठिन है,
जो स्वयं में करवट नहीं बदल सकते,
उन्हें दूसरों की मदद की जरूरत पड़ती है,
जैसे कोई,बीमार है,या उम्र दराज है,
और स्वयं करवट नहीं बदल सकता,
तो तीमारदारों का , एक यह भी जिम्मा है,
यहां तक कि मैंने गांव-देहात में भी यह देखा है,
अगर कोई पशु घायल हैं,बीमार है,
तो उसको भी करवट बदलवानी पड़ती है।
ऐसे में यदि राजनीति में कोई एक ही स्थान पर पड़ा है,
तो उसका भी करवट बदलने का पूरा हक जुड़ा है,
और तब तो और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है,
जब कोई बिन बुलाए, करवट बदलने को आता है,
ऐसा ही पिछले कुछ सालों से हो रहा है,
किसी ना किसी बहाने को,
कोई आकर करवट बदलने का आफर दे जाता है,
तब ऐसी परिस्थिति में, जो एक ही स्थिति में पड़ा है,
उसमें भी करवटें बदलने की आस जग जाती है,
फिर वह,सुखद अनुभूति की अभिलाषा में, बलवती हो जाती है,
इस लिए करवट बदलने के प्रयास एवं प्रयोग शुरू हो जाते हैं,
कभी-कभी यह सुखद भी होते रहते हैं, और कभी कभी यह भारी कष्ट दायी हो जाते हैं,
लेकिन हम-तुम;हम-सब, करवट बदलने से बाज नहीं आते हैं।।