करप्शन के टॉवर ढह गए
करप्शन के टॉवर ढह गए,
भाव आंसुओ में बह गए।
और हम सब खड़े खड़े,
ये गुब्बार हम देखते रहे।।
कुछ भ्रष्टाचारी रिटायर हो गए,
कुछ भ्रष्टाचारी ऊपर चले गए।
और हम नोएडा में खड़े खड़े,
अपने आपको कोसते ही रहे।।
टॉवरों की उच्चाई बढ़ती रही,
भ्रष्टाचार की सीमा बढ़ती गई।
और हम नोएडा में खड़े खड़े,
इन गगनचुंबी टॉवर देखते रहे।।
आज सब दोषारोपण कर रहे,
एक दूसरे की टांग है खीच रहे।
और हम सब खड़े खड़े ही,
ये तमाशा हम सब देखते रहे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम