करप्शन का लोड
पत्नी अपने पति से बोली –
देखो गड्ढे बहुत हैं , संभल कर जाना
संभल न पाना तो ब्रेक लगाना
यह गाड़ी तुमने दहेज में है पाई
मैं मायके चली जाऊँँगी ,
एक खरोच जो आई ।
पति झटपटाया और हारकर बोला –
जानम कुछ तो समझा करो
थोड़ा-सा भरोसा मुझ पर धरो
तुम्हारी गाड़ी मैं खींचकर ले जाऊँँगा
बैलगाड़ी-सा रोड पर
धीमे-धीमे चलाऊँँगा
क्योंकि , रोड पर गड्ढे नहीं
गड्ढों की रोड है
राजनीति के कंधों पर
करप्शन का लोड है
करप्शन का लोड है…।
(मोहिनी तिवारी)