करने लगा मैं ऐसी बचत
हो जाये कम मेरी मुसीबत।
बढ़ जाये कुछ मेरी इज्जत।।
मैंने तरीका यह अपनाया।
करने लगा मैं ऐसी बचत।।
हो जाये कम———————–।।
घर में नहीं हो जब, खाने के दाने।
पैदा करें क्यों, बच्चे मनमाने।।
बच्चे हो सिर्फ, दो या तीन।
सुख और चैन से, बीतेंगे दिन।।
होगी समाज में भी इज्जत।
करने लगा मैं ऐसी बचत।।
हो जाये कम———————।।
फैल रही है बेरोजगारी।
बढ़ रही है मारामारी।।
होकर मजबूर बेरोजगारी से।
जुड़ते हैं लोग कालाबाजारी से।।
नहीं हो मेरी जान को आफत।
करने लगा मैं ऐसी बचत।।
हो जाये कम——————-।।
कर दिये कम शौक मैंने।
बन्द अपनी महफ़िलें मैंने।।
रखते हैं उपवास वो भी तो।
सादा लिबास- आवास हो तो।।
नहीं है मुझको इसमें दिक्कत।
करने लगा मैं ऐसी बचत।।
हो जाये कम——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)