करते रहे वफ़ा।
कभी सोचा है क्यूं तुमको तन्हाई मिली है।
तुम करते रहे वफ़ा फिर भी बेवफाई मिली है।।
यही तो सदियों से सिलसिला चल रहा है।
सच्ची मोहब्बत को सदा ही रुसवाई मिली है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
कभी सोचा है क्यूं तुमको तन्हाई मिली है।
तुम करते रहे वफ़ा फिर भी बेवफाई मिली है।।
यही तो सदियों से सिलसिला चल रहा है।
सच्ची मोहब्बत को सदा ही रुसवाई मिली है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️