करते मन की बात
मंदिर-मस्जिद दौड़ता, भारत देश महान।
आया फिर करोना है, आफत मे अब जान।।
मदिरालय की भीड़ से, रहता है यह दूर।
नेता जी रैली करें, जनता भी मगरूर।।
दान पूण्य स्नान से, भागेगा यह रोग।
कुम्भ नहाने हैं गए, यहाँ करोड़ों लोग।।
मारामारी है मची, मिल जाए उपचार।
एक साल के बाद भी, हुए नहीं तैयार।।
जनता की चिन्ता नही, मन में बसा चुनाव।
शहर अभी हैं जल रहे, जलने हैं अब गांव।।
अनपढ़, गांव, गरीब ही, झेलें सबकी मार।
नेता जी हैं मौज मे, डूब रही पतवार।।
एक-एक को लॉक कर, लॉक किए दिन-रात।
जनता की सुनते नहीं, करते मन की बात।।