करते प्रियजन जब विदा ,भर-भर आता नीर (कुंडलिया)*
करते प्रियजन जब विदा ,भर-भर आता नीर (कुंडलिया)*
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करते प्रियजन जब विदा ,भर-भर आता नीर
संबंधी क्या मित्र क्या , होते सभी अधीर
होते सभी अधीर , फूटकर दिखते रोते
जिनको प्रीति विशेष ,भीतरी सुध-बुध खोते
कहते रवि कविराय ,लोग जाने क्यों मरते
क्यों निर्मम भगवान , पाश क्यों बॉंधा करते
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नीर = जल // पाश = बंधन
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451