कयास
देखे नही थे जो
किसी ने आज तक
उन दिनो की चिन्ता मे
मै व्यर्थ डरे जा रहा था ।
रखा है जो राज़
कुदरत ने अपने गर्भ मे
उसी की कयास मे
मै व्यथित हो रहा था ।
चल रही थी जिन्दगी
किसी के इशारे पे
मै बेवजह दिन रात
इधर-उधर भटक रहा था ।
खुद ही बनेगा रास्ता
मेरी तकदीरे मंजिल का
मेरे कर्मो का लेखा जोखा
निस दिन लिखा जा रहा था ।।
राज विग 27.09.2020