कम किसी से नहीं गुणवती बेटियां
हौसलों से भरी डोलती बेटियां
हर कठिन लक्ष्य को भेदती बेटियां
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पाँव रोको नहीं आज टोको नहीं
पंख पाकर गगन चूमती बेटियां
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सौम्य मुस्कान से घर महकता रहे
फूल झरते हैं’ जब बोलती बेटियां
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मर मिटें देश की आन पर बान पर
मृत्यु का कुछ न भय मानती बेटियां
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लड़ रहीं रूढ़ियों से निरंतर सभी
बेड़ियां पाँव की तोड़ती बेटियां
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भेद करना उचित है नहीं आजकल
कम किसी से नहीं गुणवती बेटियां
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मूर्ति हैं बेटियां त्याग बलिदान की
मात्र अपना न सुख सोचती बेटियां
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छोड़ माता पिता जा के’ ससुराल में
कष्ट क्या क्या नहीं भोगती बेटियां
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कोई’ सुनता नहीं बेटियों की व्यथा
भाग्य अपना सदा कोसती बेटियां
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मिट रहीं कोख़ में सूखकर आज क्यों
निर्मला नर्मदा गोमती बेटियां
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राकेश दुबे “गुलशन”
10/01/2017
बरेली