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4 Sep 2023 · 1 min read

कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,

कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,
शायद, पौष की लंबी रातों में आओगे।

रूठे रहो यों ही, दो-चार महीने और,
ख़ुद ही एक रोज़ बातों-बातों में आओगे।

आने दो कुँवार, खिलेगी सुनहरी धान,
छूने लहलहाती फसलें, मेरे खेतों में आओगे।

ख़ोजी है, गुलाबी पसंदीदा बिंदी तुम्हारी,
अभी सौंपी है डाकिए को, जल्दी पाओगे।

मिरे बारे में तहक़ीक़ात कम किया करो,
फिर गुमसुम भी रहती हो, रुसवा हो जाओगे।

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