Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2020 · 1 min read

कमज़ोरियाँ

भरी दोपहर में मुझ पर अँधेरा छा गया जैसे
मौसम-ए-बहार में ही पतझड़ आ गया जैसे।

ज़िन्दग़ी की शाख़ पर दो पत्ते थे बाकी
एक बे-रहम झोंका शाख़ हिला गया जैसे।

मैं खुदकों बड़ा ताक़तवर मानकर चला था
मेरी कमज़ोरियाँ मुझे वक़्त बता गया जैसे।

जॉनी अहमद ‘क़ैस’

2 Likes · 2 Comments · 367 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
अरविंद भारद्वाज
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मृत्यु शैय्या
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
सरयू
सरयू
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
फलसफ़ा
फलसफ़ा
Atul "Krishn"
अफवाह एक ऐसा धुआं है को बिना किसी आग के उठता है।
अफवाह एक ऐसा धुआं है को बिना किसी आग के उठता है।
Rj Anand Prajapati
बेकसूर तुम हो
बेकसूर तुम हो
SUNIL kumar
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जब तक हम ख़ुद के लिए नहीं लड़ सकते हैं
जब तक हम ख़ुद के लिए नहीं लड़ सकते हैं
Sonam Puneet Dubey
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
घर नही है गांव में
घर नही है गांव में
Priya Maithil
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रणय गीत
प्रणय गीत
Neelam Sharma
जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
आने वाला कल
आने वाला कल
Dr. Upasana Pandey
बेरंग दुनिया में
बेरंग दुनिया में
पूर्वार्थ
हरिक मोड़ पर जिंदगी,
हरिक मोड़ पर जिंदगी,
sushil sarna
नहीं है प्रेम जीवन में
नहीं है प्रेम जीवन में
आनंद प्रवीण
मां
मां
Dr. Shakreen Sageer
श्याम के ही भरोसे
श्याम के ही भरोसे
Neeraj Mishra " नीर "
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
Dushyant Kumar
शिव
शिव
Vandana Namdev
अबके रंग लगाना है
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
3606.💐 *पूर्णिका* 💐
3606.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज मह
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
आत्मघात क्यों?
आत्मघात क्यों?
*प्रणय*
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
Loading...