कमी होती है हर इंसान में
क्या रहना दौलतो शोहरत के गुमान में
कोई भी ठहर नहीं सकता आसमान में
रब ने किसी को भी मुकम्मल नहीं बनाया
कुछ ना कुछ कमी होती है हर इंसान में
बस लहजे का ख्याल रखना ज़रूरी है
फिर बात करो चाहे किसी भी ज़ुबान में
ज़िन्दगी मुख्तसर है ज़िंदादिल होके जिओ
कुछ दिन ठहरना है किराए के इस मकान में
क्यूं मरे जाते हो “अर्श” एक शख्स के लिए
और भी तो बहुत लोग हैं इस जहान में