Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Mar 2023 · 3 min read

कमीना विद्वान।

कमीना विद्वान।
-आचार्य रामानंद मंडल।

कुमार भरोस प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार रहलन।वो एक साथ कवि, कथाकार, उपन्यासकार आ आलोचक रहलन। सोना मे सुगंध इ कि वो मैथिली विश्वविद्यालय मे मैथिली विभाग के विभागाध्यक्षो रहलन। हुनकर पढाबे के शैली पर विद्यार्थी दीवाना रहय।दोसरो विभाग के विद्यार्थी हुनकर क्लास मे बैठ जाय। खचाखच क्लास भरला के बाद क्लास के खिड़की आ गेट पर खड़ा होके सुनय लागे। परंतु कोई शोर गुल न। केवल कुमार भरोस के आवाज। लेक्चरर के समय पाठ के अनूकूल भाव भंगिमा मन मोहक।
कुमार भरोस के रहन सहन मे रइसपन टपके। गर्मी में सफेद कुर्ता -पैजामा त कहियो सफेद धोती कुर्ता।जाड़ा मे कोट-पैंट आ मफलर। मुंह में पान आ आंख पर गोग्लस। सायं मे मदिरा। कोनो कंजूसी न।
रिक्शावालो हुनकर दिवाना। रिक्शावाला के नज़र जौं प्रोफेसर साहब पर परल कि दोसर सवारी के लेवे से मनाही।कारन प्रोफेसर साहब कहियो भाड़ा गिनके न देलन।जेबी से जे निकल जाय। जौं जेब खाली तैइयो रिक्शावाला के मुंह न म्लान।
कुमार भरोस साहित्य के संगे नारी सौंदर्य के दिवाना रहतन।वो हमेशा सुंदर नारी से घिरल रहतन। चाहे वो प्राध्यापिका रहे वा छात्रा। हुनका कोनो कोनो से वासनात्मक संबंधो रहय। पीएचडी करेवाली एगो छात्रा त शिकायतो करैले रहे। परंतु हिनकर विद्वता आ उच्च संपर्क के आगे शिकायत निरस्त हो गेल।

प्रोफेसर कुमार के पत्नी रहे कामिनी। उच्च कुल के बेटी। बाबू ब्लाक के बड़ा बाबू। कामिनी स्नातक रहे।खुब सुन्नर।साक्षात कामिनी। परंतु कामिनी सेयो बीस रहे वोकर छोट बहिन काम्या। काम्या एम ए मैथिली मे कुमार भरोस के छात्रा रहे। सौंदर्य के भ्रवंरा से सौंदर्य के फूल कंहु बच के रह सकैय हय। कुमार से काम्या बच न पायल। भ्रवंरा जेते फूल के चाहैत हय,वोतवे फूल भ्रवंरा के चाहैत हय। प्रेमी लुटे चाहय हय त प्रेमिका लुटाय।इ दूनू के परस्पर विरोधी आकर्षक संबंध हय।
रहल कामिनी के विरोध के बात त उच्च कुल आ कुमार भरोस के विद्वता बाधक। समाज मे विद्वान के गलत काज के विरोध करे मे समाज असमर्थ हो जाइ हय।
छोड़ूं वो विद्वान छथिन, हुनका लेल एकटा खून माफ हय।
त कुमार एगो खूनो क देलन। रहस्यमय खून।जेइमे खून न बहल। कुमार भरोस अपना सारी आ छात्रा के विआह अपन स्वजातीय छात्र शेखर से करा देलन।आ वोकर हत्या के खडयंत्र रचलन।
एकांत में कुमार बजलन -काम्या अब हम दूनू गोरे बिना लाग लंपट के साथ रहब।लिव इन रिलेशनशिप।
काम्या बाजल -कोना। जीजा जी।
कुमार बाजल -अंहा के मनमोहनी विस कन्या बने पड़त। अंहा रात मे अपना दुल्हा के दूध में जहर मिला के पिला दूं।आगा सभ हम देखि लेबय।
काम्या बाजल -जीजा जी। अंहा सौंदर्य के खतरनाक खिलाड़ी छी।
कुमार बाजल -कोनो अंहा कम खेल्हाड़ि छी।
काम्या बाजल -बेश जीजा जी।
काम्या आइ रात बिस कन्या बन गेल।अपन सौंदर्य जाल मे समेटित शेखर के जहर मिलायल दूध पिआ देलक।
सबेरे शेखर विछावन पर मृत पायल गेल काना रोहट भेल। कुमार भरोस के पहल पर पुलिसो के सूचितो न कैल गेल। बातों खतम भे गेल।
कामिनी त अपन मुंहे बंद क लेलक।कुमार भरोस विधवा काम्या लिव इन रिलेशनशिप मे रहे लागल।
आइ लोग कहय हय कुमार जेतबे विद्वान हय ओतबे कमीना इंसान हय।

स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।

Language: Maithili
2 Likes · 2 Comments · 1172 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
Rituraj shivem verma
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
Vijay kumar Pandey
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
VINOD CHAUHAN
बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ सीखना ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
*क्या देखते हो *
*क्या देखते हो *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धार तुम देते रहो
धार तुम देते रहो
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
Ranjeet kumar patre
Extra Charge
Extra Charge
AJAY AMITABH SUMAN
"वक़्त की मार"
पंकज परिंदा
" आराधक "
DrLakshman Jha Parimal
कोई चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो,
कोई चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो,
पूर्वार्थ
प्रेम अब खंडित रहेगा।
प्रेम अब खंडित रहेगा।
Shubham Anand Manmeet
समझा दिया
समझा दिया
sushil sarna
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
ओनिका सेतिया 'अनु '
2738. *पूर्णिका*
2738. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाण मां सूं अरदास
बाण मां सूं अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अयोध्या
अयोध्या
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
कवि के हृदय के उद्गार
कवि के हृदय के उद्गार
Anamika Tiwari 'annpurna '
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
" भाव "
Dr. Kishan tandon kranti
****शिव शंकर****
****शिव शंकर****
Kavita Chouhan
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
शेखर सिंह
🙅याद रहे🙅
🙅याद रहे🙅
*प्रणय*
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
Adha Deshwal
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
Kuldeep mishra (KD)
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
gurudeenverma198
हश्र का वह मंज़र
हश्र का वह मंज़र
Shekhar Chandra Mitra
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...