कमीना विद्वान।
कमीना विद्वान।
-आचार्य रामानंद मंडल।
कुमार भरोस प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार रहलन।वो एक साथ कवि, कथाकार, उपन्यासकार आ आलोचक रहलन। सोना मे सुगंध इ कि वो मैथिली विश्वविद्यालय मे मैथिली विभाग के विभागाध्यक्षो रहलन। हुनकर पढाबे के शैली पर विद्यार्थी दीवाना रहय।दोसरो विभाग के विद्यार्थी हुनकर क्लास मे बैठ जाय। खचाखच क्लास भरला के बाद क्लास के खिड़की आ गेट पर खड़ा होके सुनय लागे। परंतु कोई शोर गुल न। केवल कुमार भरोस के आवाज। लेक्चरर के समय पाठ के अनूकूल भाव भंगिमा मन मोहक।
कुमार भरोस के रहन सहन मे रइसपन टपके। गर्मी में सफेद कुर्ता -पैजामा त कहियो सफेद धोती कुर्ता।जाड़ा मे कोट-पैंट आ मफलर। मुंह में पान आ आंख पर गोग्लस। सायं मे मदिरा। कोनो कंजूसी न।
रिक्शावालो हुनकर दिवाना। रिक्शावाला के नज़र जौं प्रोफेसर साहब पर परल कि दोसर सवारी के लेवे से मनाही।कारन प्रोफेसर साहब कहियो भाड़ा गिनके न देलन।जेबी से जे निकल जाय। जौं जेब खाली तैइयो रिक्शावाला के मुंह न म्लान।
कुमार भरोस साहित्य के संगे नारी सौंदर्य के दिवाना रहतन।वो हमेशा सुंदर नारी से घिरल रहतन। चाहे वो प्राध्यापिका रहे वा छात्रा। हुनका कोनो कोनो से वासनात्मक संबंधो रहय। पीएचडी करेवाली एगो छात्रा त शिकायतो करैले रहे। परंतु हिनकर विद्वता आ उच्च संपर्क के आगे शिकायत निरस्त हो गेल।
प्रोफेसर कुमार के पत्नी रहे कामिनी। उच्च कुल के बेटी। बाबू ब्लाक के बड़ा बाबू। कामिनी स्नातक रहे।खुब सुन्नर।साक्षात कामिनी। परंतु कामिनी सेयो बीस रहे वोकर छोट बहिन काम्या। काम्या एम ए मैथिली मे कुमार भरोस के छात्रा रहे। सौंदर्य के भ्रवंरा से सौंदर्य के फूल कंहु बच के रह सकैय हय। कुमार से काम्या बच न पायल। भ्रवंरा जेते फूल के चाहैत हय,वोतवे फूल भ्रवंरा के चाहैत हय। प्रेमी लुटे चाहय हय त प्रेमिका लुटाय।इ दूनू के परस्पर विरोधी आकर्षक संबंध हय।
रहल कामिनी के विरोध के बात त उच्च कुल आ कुमार भरोस के विद्वता बाधक। समाज मे विद्वान के गलत काज के विरोध करे मे समाज असमर्थ हो जाइ हय।
छोड़ूं वो विद्वान छथिन, हुनका लेल एकटा खून माफ हय।
त कुमार एगो खूनो क देलन। रहस्यमय खून।जेइमे खून न बहल। कुमार भरोस अपना सारी आ छात्रा के विआह अपन स्वजातीय छात्र शेखर से करा देलन।आ वोकर हत्या के खडयंत्र रचलन।
एकांत में कुमार बजलन -काम्या अब हम दूनू गोरे बिना लाग लंपट के साथ रहब।लिव इन रिलेशनशिप।
काम्या बाजल -कोना। जीजा जी।
कुमार बाजल -अंहा के मनमोहनी विस कन्या बने पड़त। अंहा रात मे अपना दुल्हा के दूध में जहर मिला के पिला दूं।आगा सभ हम देखि लेबय।
काम्या बाजल -जीजा जी। अंहा सौंदर्य के खतरनाक खिलाड़ी छी।
कुमार बाजल -कोनो अंहा कम खेल्हाड़ि छी।
काम्या बाजल -बेश जीजा जी।
काम्या आइ रात बिस कन्या बन गेल।अपन सौंदर्य जाल मे समेटित शेखर के जहर मिलायल दूध पिआ देलक।
सबेरे शेखर विछावन पर मृत पायल गेल काना रोहट भेल। कुमार भरोस के पहल पर पुलिसो के सूचितो न कैल गेल। बातों खतम भे गेल।
कामिनी त अपन मुंहे बंद क लेलक।कुमार भरोस विधवा काम्या लिव इन रिलेशनशिप मे रहे लागल।
आइ लोग कहय हय कुमार जेतबे विद्वान हय ओतबे कमीना इंसान हय।
स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।