कमाई के पैमाने बदले !
छोड़ दो मुर्दों पर रोटी सेंकना,
जिंदा लाशों का ढ़ेर क्या कम हैं,
(कमाई कर खा लेने दो)
बस इतने से रहम की उम्मीद है,
नामुराद इससे भी मुक़र गए..!!
.
डॉ0महेंद्र.
छोड़ दो मुर्दों पर रोटी सेंकना,
जिंदा लाशों का ढ़ेर क्या कम हैं,
(कमाई कर खा लेने दो)
बस इतने से रहम की उम्मीद है,
नामुराद इससे भी मुक़र गए..!!
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डॉ0महेंद्र.