कभी
वक्त वापस वो चला आया कभी
घाव सारे दे गया ताजा कभी
फिर चमन तुमसे प्रश्न पूछे यहीं
तू न क्यों वापस चला आया कभी
खून तेरा जब बहेगा आज जो
क्रान्ति फिर कोई नई लाया कभी
मान मेरा जो किया भंग आपने
क्यों न लूँ तुमसे यहाँ बदला कभी
प्यार हमको वो करेगा आज तो
हाथ सिर पर मैं फिरा दूँगा कभी
इश्क मे उसका हुआ बेहाल अब
वो सहन कर बात मानेगा कभी
डॉ मधु त्रिवेदी