कभी ख़ुशी खभी गम है
आज के जमाने में क्या
ख़ुशी क्या गम है ?
इससे तो हंमे परिवार से आभास है ।।
कोई पास कोई दूर
कोई आसपास ,,,,
वो है मजबूर
जो हंमे ख़ुशी की तलाश है।
कोई किसी बात से परेशान ,
जो यहां है अपने देहात
ख्वाहिशे है तमाम ,पूरी नही होती तो,,,
वो इसी से उदास है ।।
यार से भी बेताब
कैसे दे उनको जबाब
वो रखते आत्मीयता
जो दिल पर भी नवाब है ।
कोमल जैसा दिल
अहसानो का बिल
चुकता नही
यही क्या मिजाज है ?
आशाओं के आंगन में
रोनक की धुप है ।
आएगी एक मुस्कान की किरण ,
इसी का हंमे पूरा विश्वास है ।
नयनो में बसे बून्द बून्द
आँशु दुःख दर्द के,
हंसी ख़ुशी के चादर में,
प्रवीण का भी वास है ।
✍प्रवीण शर्मा
ताल जिला रतलाम
तहसील ताल
टी एल एम् ग्रुप संचालक
9165996865