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19 Sep 2024 · 1 min read

कभी हमसे पुछिए

वो दिन, वो मंजर हमसे पूछिए,,
वो सुखा किनारा, वो प्यासा समंदर हमसे पूछिए,,

पूछिए हमसे…
वो घड़ी,वो बात!
वो वक्त,वो जज़बात!!

वो रास्ता, वो सफ़र
वो शाम, वो लहर
हमसे पूछिए!!

वो गली, वो लड़की..
वो…
लकड़ी वाली खिड़की!!

इक झलक की आस!
वो..
बादल की प्यास..
वो सावन की हुंकार
वो प्रीत कि फुहार
मिट्टी कि महक
वो कदम्ब की सुगंध!!
ज़रा हमसे पूछिए!

पुछिए ज़रा!
रात की गहराई,
सपनो की उंचाई..
मुंतशिर कहानी,
ये जीवन की बीरानी..
ये सब हमसे पूछिए।।

पुछिए!

पुछिए..
वो शाम, वो कत्ल, वो मंजर
जिंदगी, लहू और खंजर!

पुछिए!
कुछ पल की कहानी
कोई एक राजा था!!
थी कोई एक रानी..

चलो फिर!
बहुत हुआ..
ये राजा, जिंदगी और रानी,
क्यूं ना हम यहीं पर रोक दें कहानी!!

कभी फुर्सत से अगर!
फुर्सत मिले,
तो पूछिएगा जरूर,,
ये कहानी !!

वो कौन था राजा?
कौन थी रानी?
सच में क्या थी कहानी?

पुछिएगा हमसे!
पुछिएगा!!

• विवेक शाश्वत ✍️

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