कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
लिस्ट बनाकर खोज करो क्या पसन्द
घर परिवार में रहना गुंजाइश बनाकर
फिर सवाल करना मन को क्या पसन्द
हर शख्स को दोस्त का दर्जा बेफजूल
सोचा नही कभी दोस्त में क्या पसन्द
मन माफिक एक ही काफी है
उससे पूछना नही पडेगा क्या पसन्द