कभी शाख से भूल
तोड़े जो दिल आपका, कर न सकूँ वह भूल !
मैंने तो तोड़ा नहीं, …….कभी शाख से फूल !!
कैसे होती और की ,……….मित्र मुझे दरकार !
सीमित जब तुम तक रहा , गुस्सा हो या प्यार !!
रमेश शर्मा.
तोड़े जो दिल आपका, कर न सकूँ वह भूल !
मैंने तो तोड़ा नहीं, …….कभी शाख से फूल !!
कैसे होती और की ,……….मित्र मुझे दरकार !
सीमित जब तुम तक रहा , गुस्सा हो या प्यार !!
रमेश शर्मा.