*कभी वो भी तो सुनो जो हम कह न सके*
” कभी वो भी तो सुनो जो हम कह न सके”
यूँ तो हर बात लहजे में चलते हुए
कहते सुनते ही रहते हैं।
फिर भी न जाने क्यों जो हम कहना चाहते थे वो अधूरे रह गए हैं।
वो ख्वाहिशें तमन्नाएं पूरी हो गई है लेकिन ,
दिल में कुछ बातें जो तुमसे करनी थी वो जुबां पे दबी हुई है।
समय की इस भागमभाग दौड़ में ,
बस दिन रात भर काम से फुर्सत हो बेसब्री से इंतजार करते हैं।
आखिर वो एक दिन आएगा जरूर जब अपनी मन की बात कह खुश हो जाएंगे।
फुर्सत के दो पल चुरा कर कभी वो तो सुनो जो हम कह न सके हैं।
जीवन के दो चार पल यूँ ही घड़ी दो घड़ी साथ बैठकर गिले शिकवे में ही भूल जाते हैं।
कहनी जो दिल की बातें वो सभी कुछ भूल जाते हैं।
न जाने दुनिया भर की अलग बातो में उलझकर रह ही जाते हैं।
कभी तो समय निकाल लो जो हम तुमसे कुछ कहना चाहते हैं।
जय श्री राधेय जय श्री कृष्णा ?
शशिकला व्यास