कभी वक़्त ने गुमराह किया,
कभी वक़्त ने गुमराह किया,
कभी किया बेज़ान,
कभी वक्त ने आँख दिखाई,
कभी गिरा दिया सम्मान,
थके जरूर पर रुके नहीं,
वक़्त के आगे ये घुटने कभी टिके नहीं,
उदास जरूर हुआ पर हारा नहीं ये मन,
अभी भी दिल में बाकी है धडकन,
ठोकर से कितने मज़बूत होते है पैर,
वक़्त आने पर ये वक़्त को जरूर दिखायेंगे हम।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी