कभी मीठा कभी खट्टा कभी नमकीन सी राहें।
दिनांक – ३/१/२०२०
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कभी मीठा कभी खट्टा कभी नमकीन सी राहें।
कभी हर्षित कभी पुलकित कभी गमगीन सी राहें।
मिला जीवन हमें जो यह बड़ा अनमोल है यारो-
कभी आसां कभी मुश्किल कभी संगीन सी राहें।
अकारण कुछ नहीं जग में सभी कुछ है ख़ुदा मर्जी-
कभी हँसना कभी रोना कहीं रंगीन सी राहें।
सफलताएं विफलताएं यही है स्वाद जीवन की-
कही भूलीं कही बिसरी कभी अलकीन सी राहें।
यहाँ सुख से सचिन कोई सदा दुख में कोई रहता-
कभी काली काभी रौशन कहीं मस़की़न सी राहें।
✍️पं. संजीव शुक्ल ‘सचिन’