(कभी मत दिल दुखाना
तुम बुजुर्गों का कभी मत दिल दुखाना।
जिनके’ क़दमों में कहे जन्नत ज़माना ।।
दूर मत करना कभी तुम खुद से’ इनको,
कौन है जो फेंकता कंचन पुराना।।
ले के’ निकलो तुम बुजुर्गों की दुआएँ,
घर से’ बाहर हो तुम्हारा जब भी’ जाना।।
छोड़ना तन्हा नहीं इनको कभी भी,
हो सके तो फ़र्ज़ बस इतना निभाना।।
शाम को घर आ के’ इनके पास बैठो,
हो ज़रूरी जो दवा कुछ साथ लाना।।
है अगर करना दिलों पर राज उनके,
कुछ सुनो उनकी उन्हें अपनी सुनाना।।
जिन्दगी हँसते हुए गुज़रेगी’ उसकी,
जो मिलन जीने का’ इनसे राज़ जाना।।
मिलन चौरसिया ‘मिलन’
मऊ, उ0प्र0।