कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्ष प्रकट करने से बचना चाहिए अन्यथा वही सब भविष्य में ताना के रूप में सुनने के लिए आपको तैयार रहना होगा।
पारस नाथ झा
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्ष प्रकट करने से बचना चाहिए अन्यथा वही सब भविष्य में ताना के रूप में सुनने के लिए आपको तैयार रहना होगा।
पारस नाथ झा