*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)
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सागर तट पर लहरों का आघात न देखा क्या देखा
नदियों के तट पर यदि झंझावात न देखा क्या देखा
चॉंदी-सा चंद्रमा स्वर्ण-सा बंधु प्रभात अनूठा है
कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451