कभी न डोर छोड़िये
पतंग से उड़ो मगर, कभी न डोर छोड़िये
बंधी ये डोर प्यार की, इसे कभी न तोड़िये
लड़ाइये न पेंच अब, लगाइये गले हमें
है’ दोस्ती का’ हाथ ये, नहीं इसे मरोड़िये
खुला हुआ है आसमां, सँभल सँभल उड़ो यहाँ
जमीन है ये’ आपकी, इसे कभी न छोड़िये
मिलेगी’ हर ख़ुशी तुम्हें,चले जो’ सच की’ राह पर
भलाई’ करके’ भूलिये, हिसाब में न जोड़िये
रहो जहाँ में’ प्यार से ये’, जिन्दगी है’ कीमती
चलाइये न गोलियाँ यहाँ, ये’ बम न फ़ोड़िये
तुम्हें मिला है’ प्यार जो, रखो उसे संभाल कर
दिवाली’ हो या’ ईद हो, किसी से’ मुंह न मोड़िये