—****कभी न करना कल का इन्तेजार****—
कल का इन्तेजार न करना कभी
वो कभी आ नहीं सकता
जैसे कोई फ़रिश्ता परलोक गया
वो वापिस जमीं पर आ नहीं सकता !!
कल हम में से कौन होगा
कौन यहाँ पर बाकि होगा
निशान रह जायेंगे बस अपने
कल यहाँ किसी और का मकान होगा !!
दूरिओं को समेट लो, पास आकर
क्यों की रास्ता शमशान का बाकि है
जहाँ न जाने कितने चले गए और
न जाने कितने वहां जाने बाकि हैं !!
पल पल मौत नजर रखती है सब पर
कोई न बच पाया इस की नजर से
ख़ुशी का साथ निभा लो मेरे यारो
आज गुजरा वकत वापिस आ नहीं सकता !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ