कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास।
माना कि अभी अंधेरा है, कभी तो होगा उजास।।
कभी ना होना तू निराश———————।।
माना कि तू है अकेला, तेरा घर कोई नहीं है।
खाली है हाथ तुम्हारे, तेरे साथ कोई नहीं है।।
मेहनत से ही होती है, सभी की सच में पूरी प्यास।
कभी ना होना तू निराश——————।।
किसी को फिक्र नहीं तेरी, तुम्हें क्यों है सभी की फिक्र।
तुम्हारा दर्द पूछा किसने, यहाँ की किसने तुम्हारी कद्र।।
अपने महत्व का इनको भी, करा दे तू जरूर अहसास।
कभी ना होना तू निराश———————।।
आग में तपकर ही तो, सोना ऐसे चमकता है।
काँटों में रहकर ही तो, फूल ऐसे महकता है।।
राह के इन पत्थरों से तू , अपना यह भाग्य तराश।
कभी ना होना तू निराश——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)