Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Nov 2021 · 1 min read

कभी ना सोचें कि ऐसा होता !

कभी ना सोचें कि ऐसा होता !
????????

कभी ना सोचें कि ऐसा होता !
कभी ना सोचें कि वैसा होता !
हम जैसे भी हैं उसी में खुश रहें ,
बस, इसी में सबका भला होगा !!

मनुष्य किसी न किसी मोड़ पे ,
ये सोचने को मजबूर हो जाता !
कि हम कहीं और ही होते तो….
हमारी दुनिया कुछ और ही होती !!

बस , इसी चिंतन मनन में उसकी
भावनाऍं भी संकुचित होती जाती !
व्यक्तित्व उसका निखर नहीं पाता….
किसी तरह वो ज़िंदगी काटता जाता !!

वो कभी ये मानने को तैयार क्यों नहीं ?
कि अन्यत्र कहीं और भी बुरा हाल होता !
जरूरी नहीं कि घर-बार खुशहाल होता !
परिकल्पना मात्र से किसका भला होता ?
ये तो बस, मन को झूठी तसल्ली ही देता !!

आप जहाॅं कहीं भी हैं, बिंदास जियें ,
जो भी काम करते हैं , बेधड़क करें !
वे सभी कार्य अच्छे हैं जो खुशियाॅं दे ,
वर्तमान परिस्थिति में ही खुशहाल रहें !!

जो कोई वर्तमान को नहीं जी पाएगा ,
वो सदा घूंट – घूंट कर ही मर जाएगा !
थोड़ी-बहुत जो खुशियाॅं मिलने वाली थीं ,
उससे भी सदैव वंचित ही वो रह जाएगा !!

स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 25 नवंबर, 2021.
“”””””””””””””””””””””””””””””””
?????????

Language: Hindi
7 Likes · 6 Comments · 462 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
Rj Anand Prajapati
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
Shyam Sundar Subramanian
मालपुआ
मालपुआ
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
Sunil Suman
Your Ultimate Guide to Excelling in Finance Assignments
Your Ultimate Guide to Excelling in Finance Assignments
Angelika Wartina
संवेदनहीन नग्नता
संवेदनहीन नग्नता"
पूर्वार्थ
अटरू ली धनुष लीला
अटरू ली धनुष लीला
मधुसूदन गौतम
माँ और बेटी.. दोनों एक ही आबो हवा में सींचे गए पौधे होते हैं
माँ और बेटी.. दोनों एक ही आबो हवा में सींचे गए पौधे होते हैं
Shweta Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Vijay kumar Pandey
ये इश्क़-विश्क़ के फेरे-
ये इश्क़-विश्क़ के फेरे-
Shreedhar
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
Phool gufran
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
शेखर सिंह
विनती
विनती
Dr. Upasana Pandey
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
आज के युग के आधुनिक विचार
आज के युग के आधुनिक विचार
Ajit Kumar "Karn"
बदरी
बदरी
Suryakant Dwivedi
नये सफर में गये हो जब से  बड़ी शराफत दिखा रहे हो।
नये सफर में गये हो जब से बड़ी शराफत दिखा रहे हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बांते
बांते
Punam Pande
करबो हरियर भुंईया
करबो हरियर भुंईया
Mahetaru madhukar
4065.💐 *पूर्णिका* 💐
4065.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हमारा दिल।
हमारा दिल।
Taj Mohammad
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
पितृ दिवस पर....
पितृ दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
जमाना खराब है
जमाना खराब है
Ritu Asooja
मोहब्बत मेरी जब यह जमाना जानेगा
मोहब्बत मेरी जब यह जमाना जानेगा
gurudeenverma198
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
सच
सच
Sanjay ' शून्य'
"बन्धन"
Dr. Kishan tandon kranti
पाते हैं आशीष जो,
पाते हैं आशीष जो,
sushil sarna
Loading...