*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)
कभी नहीं पशुओं को मारो
उनमें भी हैं प्राण विचारो
पशु भी तो सॉंसें लेते हैं
पुचकारो तो हॅंस देते हैं
नहीं मारकर पशु खाऍंगे
शाकाहारी कहलाऍंगे
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451