कभी नजरे चुराए ___ घनाक्षरी
कभी नजरे चुराए कभी नजरे मिलाए।
शर्माए शर्माए कभी कुछ बोल देती है।।
कहती है प्यार हुआ, पिया पिया मोरे पिया।
मैंने दिल तुम्हें दिया राज खोल देती है।।
तुम साजन हो मेरे ले लो संग मेरे फेरे।
प्यार का न मुझसे कोई मोल लेती है।।
प्यार मुझपे लुटाती, प्यार मुझको सिखाती।
मांगता हूं जितना भी अनमोल देती है।।
राजेश व्यास अनुनय