कभी थोड़ा सा आंख लगने पर भी उसकी तस्वीरें छा जाती थी,
कभी थोड़ा सा आंख लगने पर भी उसकी तस्वीरें छा जाती थी,
चलते फिरते घूमते वक्त भी उसकी यादें आ जाती थी।
हौसले बुलंद रहते थे तकदीरे लंबी दिखती थी।।
पर अब ना उसकी यादें आती है, ना तस्वीरें,
पूरी रात चैन से सोता हूं, पर कहीं नजर नहीं आती है तकदीरें।
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।