कभी तुम बन जाना मैं
कोई रिश्ता नहीं है दोस्त,
पर बने रहेंगे हम।
कभी तुम बन जाना मैं,
तो कभी मैं बन जाऊंगा तुम।
सफ़र तुम्हारा भी है,
और सफ़र हमारा भी है,
जो गिरे तो संभाल लेना,
कभी संभालूंगा मैं तो कभी संभालना तुम।
माना साथ नहीं है अपना,
पर गम है सबका अपना अपना।
गिरे जो आंख से आंसू,
कभी उठाऊंगा मैं, तो कभी उठाना तुम।
जिंदगी यूं नहीं कटती
गर्दिश-ऐ-दौर रहता है जारी।
पथ में बिछे है लाख कांटे,
कभी हटाऊंगा मैं तो कभी हटाना तुम।
चंद दिनों की है जिंदगी,
जाने कब शाम हो जाये।
हँस हँस के गुजार,
क्या पता कौन सा पल
जिंदगी का मुकाम बन जाय,
जो रोना ही पड़े तो हंसा देना,
कि कभी हसाउंगा मैं तो कभी हंसाना तुम।
कोई रिश्ता नहीं है दोस्त,
पर बने रहेंगे हम।
कभी तुम बन जाना मैं,
तो कभी मैं बन जाऊंगा तुम।
कुमार दीपक “मणि”