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20 Nov 2021 · 1 min read

कभी झुकना भी पड़ता है (मुक्तक)

कभी झुकना भी पड़ता है (मुक्तक)
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
सफर लंबा अगर हो तो ,कभी रुकना भी पड़ता है
भरे भंडार हों तो भी ,कभी चुकना भी पड़ता है
सही हर बार पर्वत – जैसी दृढ़ता ही नहीं होती
समय की माँग है यदि तो ,कभी झुकना भी पड़ता है
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
1 Like · 395 Views
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