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17 Mar 2023 · 1 min read

कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से

कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से दूर ले जाती हैं।
जिन पगडंडियों पर चलना सीखा, वो पगडंडियां भी अब नजरें चुराती हैं।
©®मनीषा मंजरी
Source- यादों की आहटें (coming soon)

1 Like · 406 Views
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