कभी जिन्दगी में उजाले न होते
कभी जिन्दगी में उजाले न होते
अगर आप हमको सँभाले न होते
नहीं ढूंढ पाते कभी प्यार को हम
अगर चिठ्ठियों को खँगाले न होते
हटाते अगर तुम जरा ये दुपट्टा
हमारी जुबां पर भी ताले न होते
टहलते न गम ही न खुशियाँ थिरकती
अगर महफिलों में पियाले न होते
सभी कुछ जहां में हमें साफ़ दिखता
अगर मोह के दिल पे’ जाले न होते
हमारा ये’ दिल बैठ जाता कभी का
अगर दर्द दिल से निकाले न होते
न होता समंदर कभी इतना’ खारा
ये आंसू समंदर में डाले न होते