कभी ज़मीन कभी आसमान…..
कभी ज़मीन कभी आसमान रखता हूँ,
मैं अपने ज़ेहन में सारा जहान रखता हूँ।।
ये सोचकर कि न तकलीफ़ हो किसी दिल को,
हरेक लफ़्ज़ में शीरी ज़ुबान रखता हूँ।।
तुम अपने झूठ से कब तक दबाओगे सच को,
मिलेगी जीत उसे, इत्मिनान रखता हूँ।।
उन्हीं पे जाके ठहर सी गयी नज़र मेरी,
इधर-उधर की न बातों पे ध्यान रखता हूँ।।
परों को मेरे कतर कर बिगाड़ क्या लोगे,
मैं हौसलों से भी ऊँची उड़ान रखता हूँ।।
मिलेगी एक न यक दिन मुझे मेरी मंज़िल,
मैं अपनी सोच को हरदम जवान रखता हूँ।।
सभी की आँख लगे बात “अश्क” से करने,
जो दिल की लब पे कभी दास्तान रखता हूँ।।
© अश्क चिरैयाकोटी
20/06/2022