कभी ज़माने ने नए ख़ून का मिजाज़ वतन में देखा था
कभी ज़माने ने नए ख़ून का मिजाज़ वतन में देखा था
उतरने लगा वफ़ा का लेपन मतलब परस्ती का खिज़ाब ख़िज़ा में ज़माने ने देखा था
वो दौर था ही अलग .. नस्ल का,
उस रुआब का असर अपन ने देखा था
बदलना है मिजाज़ क़ैफ़ियत इस दौर का ,
निगाहों ने सपन ये आज देखा था