कभी किसी के विश्वास को – मुक्तक
कभी किसी के विश्वास को, तोड़ना ना तुम l
कभी किसी की आहों से रिश्ता, जोड़ना ना तुम ll
ये विश्वास की डगर होती है, बहुत ही नाजुक l
यूँ ही किसी अपने से रिश्ता, तोड़ना ना तुम ll
कभी किसी के विश्वास को, तोड़ना ना तुम l
कभी किसी की आहों से रिश्ता, जोड़ना ना तुम ll
ये विश्वास की डगर होती है, बहुत ही नाजुक l
यूँ ही किसी अपने से रिश्ता, तोड़ना ना तुम ll