कभी-कभी हम यूँ ही उदास हो जाते हैं,
कभी-कभी हम यूँ ही उदास हो जाते हैं,
अपने ही ख्यालों में खो जाते हैं।
सोचते रहते हैं, आखिर ये कैसी बात है,
जो दिल को यूँ तकलीफ दे जाती है।
फिर अचानक ख्याल आता है,
कि हम किसके लिए उदास हैं?
क्या वो वाकई इतना मायने रखता है,
जो हमारे लम्हों को यूँ चुरा लेता है?
और जैसे ही समझते हैं,
कि ये सब बेवजह का बोझ है।
दिल खुद से ही सवाल करता है,
क्यों इस दर्द का हिस्सा होना जरूरी समझा है?
शायद, उदासी हमारी अपनी है,
जो कभी दूसरों का नाम लेकर आती है।
पर अब लगता है, इसे यहीं रोकना होगा,
अपने लिए भी एक मुस्कान सहेजना होगा….